फतेहाबाद जिले के गाँव चिंदड की पावन भूमि युगों-युगों से वीरों, यौद्धाओं एवं गोरक्षार्थों से अपना बलिदान देने वाले गौभक्तों एवं भक्ति करने वाले संतो की तपोस्थली रही है। चिन्दड़ पवित्र लोगों और महान आत्माओं की भूमि, बहुत पहले से ही कई तपस्वियों की जन्मस्थली रही है। जब-जब इस पृथ्वी पर धर्म, न्याय और धर्म की हानि बढ़ती है तब तब ईश्वर अपनी पवित्र आत्मा को अन्याय और अनीति का नाश करने और लोगों, समाज और इस संसार को ईश्वर और उसकी शिक्षाओं के बारे में ज्ञान देने के लिए भेजते हैं। जिससे अन्य लोग भी जीवन जी सकें।
फतेहाबाद जिले के गाँव चिंदड की पावन भूमि युगों-युगों से वीरों, यौद्धाओं एवं गोरक्षार्थों से अपना बलिदान देने वाले गौभक्तों एवं भक्ति करने वाले संतो की तपोस्थली रही है। चिन्दड़ पवित्र लोगों और महान आत्माओं की भूमि, बहुत पहले से ही कई तपस्वियों की जन्मस्थली रही है। जब-जब इस पृथ्वी पर धर्म, न्याय और धर्म की हानि बढ़ती है तब तब ईश्वर अपनी पवित्र आत्मा को अन्याय और अनीति का नाश करने और लोगों, समाज और इस संसार को ईश्वर और उसकी शिक्षाओं के बारे में ज्ञान देने के लिए भेजते हैं। जिससे अन्य लोग भी जीवन जी सकें।
फतेहाबाद जिले के गाँव चिंदड की पावन भूमि युगों-युगों से वीरों, यौद्धाओं एवं गोरक्षार्थों से अपना बलिदान देने वाले गौभक्तों एवं भक्ति करने वाले संतो की तपोस्थली रही है। चिन्दड़ पवित्र लोगों और महान आत्माओं की भूमि, बहुत पहले से ही कई तपस्वियों की जन्मस्थली रही है। जब-जब इस पृथ्वी पर धर्म, न्याय और धर्म की हानि बढ़ती है तब तब ईश्वर अपनी पवित्र आत्मा को अन्याय और अनीति का नाश करने और लोगों, समाज और इस संसार को ईश्वर और उसकी शिक्षाओं के बारे में ज्ञान देने के लिए भेजते हैं। जिससे अन्य लोग भी जीवन जी सकें।
विश्व स्तरीय गौ चिकित्सालय (गो लोक महातीर्थ) द्वारा आस पास के लगभग 150 कि.मी. वृतक्षेत्र मे हरियाणा व बारह जिलों से भी बीमार, दुर्घटनाग्रस्त व पीडाग्रस्त गोवंश हजारों की संख्या में लाकर सेवा की जा रही है।
गौलोक सेवा महातीर्थ में विकलांग गायों की सेवा के लिए सामग्री एवं संसाधनों की कमी है, अत: गौभक्तों से अनुरोध है कि वे नियमित सेवा सामग्री, घास, चारा, पौष्टिक आहार, दवाएँ, पानी, छाया आदि उपलब्ध कराने में सहयोग करें एवं स्थायी संसाधन उपलब्ध करायें जैसे अस्पताल, गौ विश्राम आदि। ग्रह, भूमि आदि में अपनी शक्ति और सामर्थ्य के अनुसार सहयोग करें और अपने इष्ट मित्रों से करवाएं।
1.विश्व स्तरीय श्री विल्हेशवर गौ चिकित्सालय के लावारिस पीड़ाग्रस्त गोवंश को लाने हेतु एम्बुलेन्स की व्यवस्था की गई है। 2.जिस स्थान से दुर्घटनाग्रस्त गोवंश लाये जाते हैं स्वस्थ होने के पश्चात् गोवंश को गौशालाओं मे भेज दिया जाता है। 3.मालिक अपने घरेलु बीमार गोवंश लेकर आता है तो उनको एक बीमार गोवंश के बदले में एक स्वस्थ गोवंश दिया जाता है। 4. गौशालाओं से एक बीमार गोवंश लेकर आते है तो उनको भी एक बीमार के बदले में एक स्वस्थ गोवंश दिया जाता है। 5. निजी वाहन, वन विभाग एवं पुलिस प्रशासन के वाहन द्वारा आते हैं, ऐसे वन्य जीवों को लिया जाता है। 6.वन्य जीवों को स्वस्थ होने पर वन्य जीव विभाग को सुपुर्द कर देता है। 7.गो चिकित्सालय में स्वस्थ गोवंश एवं दूध देने वाली गायों को नहीं रखा जाता और ना ही लिया जाता है। 8. रात्रि में कोई लावारिस गोवंश दुर्घटनाग्रस्त हो गया है,जो संस्था से जुड़े हुए है वह किराये का वाहन कर दुर्घटनाग्रस्त गोवंश को गौ चिकित्साल में भिजवा दें ।
श्री विल्हेशवर गौ चिकित्सालय का सबसे महत्वपूर्ण विभाग है ‘‘मेडिकल कक्ष’’ श्री विल्हेशवर गौ चिकित्सालय मे पहुंचने वाले पीड़ित, बीमार व दुर्घटनाग्रस्त गौवंशों को प्राथमिक उपचार हेतु सर्वप्रथम मेडिकल विभाग को सुर्पुद किया जाता है। मेडिकल विभाग में प्राथमिक ‘‘चैकअप व ईलाज’’ के पश्चात गौवंश को उनकी शारीरिक स्थिति एवं सेवा सुरक्षा की आवश्यकता के अनुसार बनायी गयी श्रेणियों में ‘‘रैफर’’ कर दिया जाता है तथा गंभीर रूप से लाचार, दुर्घटनाग्रस्त व वृद्ध गौवंश को ‘‘अत्यधिक घायल वार्ड (आई.सी.यू)’’ में पूर्ण स्वस्थ होने तक रखा जाता है।
गौलोक महातीर्थ में गौमाता की पीड़ा शीघ्रतिशीघ्र दूर कैसे हो इस हेतु अनुभवी चिकित्सक, डिग्रीधारी कम्पाउडर, सेवाभावी गौसेवक हर समय हाजिर रहते है। तभी तो पूरा भारत श्री विल्हेशवर गौ चिकित्सालय गौ सेवा से प्रेरणा लेते हुए नतमस्तक है और आज यह श्री विल्हेशवर गौ चिकित्सालय के नाम से अपनी एक अमिट छवि का निर्माण करते हुए निरंतर गौ सेवा की और अग्रसर है।
गौवंश के उपचार हेतु अलग अलग बिमारी के अनुसार वार्डो की व्यवस्था की गई है जैसे घायल वार्ड, अत्यधिक घायल वार्ड, कैंसर पीड़ित वार्ड, तीन पैर वार्ड, घायल साण्ड वार्ड,सिजेरियन वार्ड, शरीर पीड़ित वार्ड इत्यादि। साथ ही अलग-अलग बीमारियों में दिऐ जाने वाले अलग-अलग भोजन निश्चित माप दण्डानुसार गौमाता को निश्चित समय पर बदल-बदल कर दिया जाता है। सर्दियों में वृद्ध गौवंश को लापसी, मक्की, मैथी, अजवायन, बाजरी, खोपरा, गुड़, तेल आदि को पकाकर खिलाया जाता है वही गर्मियों में ठण्डा रहने वाले जौ, खल व चापड़ खिलाये जाते है।
यहां पर गौमाताओं की सेवा जन्म देने वाली ‘‘माँ’’ से भी कहीं अधिक आत्मीयता, प्रेम सर्मपण से होते देखकर हर कोई आगन्तुक सुखद संवेदनाओं और मानवीय गुणों के प्रति कटिबद्ध व संकल्पित सा हो जाता है। वृद्ध व बीमार गायों को दिन में कई बार स्थान बदलवाना (पलटना), उनके सहारे के लिए छलनी से छानी हुई मखमली रेत के तकिये बाजू में लगाकर रखना।
24×7 हेल्पलाइन नंबर (गाय) एम्बुलेंस, चिन्दड़ (फतेहाबाद) शाखा +91-9053401006
Office Number:- 01669296828, 9053401002
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विश्व स्तरीय श्री विल्हेशवर गौ चिकित्सालय
1.विश्व स्तरीय श्री विल्हेशवर गौ चिकित्सालय के लावारिस पीड़ाग्रस्त गोवंश को लाने हेतु एम्बुलेन्स की व्यवस्था की गई है। 2.जिस स्थान से दुर्घटनाग्रस्त गोवंश लाये जाते हैं स्वस्थ होने के पश्चात् गोवंश को गौशालाओं मे भेज दिया जाता है। 3.मालिक अपने घरेलु बीमार गोवंश लेकर आता है तो उनको एक बीमार गोवंश के बदले में एक स्वस्थ गोवंश दिया जाता है। 4. गौशालाओं से एक बीमार गोवंश लेकर आते है तो उनको भी एक बीमार के बदले में एक स्वस्थ गोवंश दिया जाता है। 5. निजी वाहन, वन विभाग एवं पुलिस प्रशासन के वाहन द्वारा आते हैं, ऐसे वन्य जीवों को लिया जाता है। 6.वन्य जीवों को स्वस्थ होने पर वन्य जीव विभाग को सुपुर्द कर देता है। 7.गो चिकित्सालय में स्वस्थ गोवंश एवं दूध देने वाली गायों को नहीं रखा जाता और ना ही लिया जाता है। 8. रात्रि में कोई लावारिस गोवंश दुर्घटनाग्रस्त हो गया है,जो संस्था से जुड़े हुए है वह किराये का वाहन कर दुर्घटनाग्रस्त गोवंश को गौ चिकित्साल में भिजवा दें ।